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Sunday, September 22, 2013

'Behind the truck' shers : India's highway poetry



( Courtesy : Hasan Zaheer )


"मालिक की गाड़ी, ड्राइवर का पसीना
चलती है सड़क पर बन कर हसीना !!"

"मालिक की ज़िंदगी बिस्कुट और केक पर
ड्राइवर की ज़िंदगी एक्सिलेरेटर और ब्रेक पर!!"

"पत्ता हूँ ताश का जोकर न समझना,
आशिक हूँ तेरे प्यार का नौकर न समझना!!"

"या खुदा क्यों बनाया मोटर बनाने वाले को,
घर से बेघर किया मोटर चलाने वाले को!!"

"ड्राईवर की ज़िन्दगी में लाखों इलज़ाम होते हैं,
निगाहें साफ़ होती हैं फिर भी बदनाम होते हैं!!"

"चलती है गाड़ी उड़ती है धूल
जलते हैं दुश्मन खिलते हैं फूल!!"

"दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गये
वो उतर कर चल दिये हम गियर बदलते रह गये !!"

"कभी साइड से आती हो, कभी पीछे से आती हो
मेरी जाँ हार्न दे देकर, मुझे तुम क्यों सताती हो!!"

"रूप की रानी चोरों का राजा,
मिलना है तो सोनिया विहार आ जा!!"

"कीचड़ में पैर रखोगी तो धोना पड़ेगा
गोरी ड्राइवर से शादी करोगी तो रोना पड़ेगा!!"

"लिखा परदेस क़िस्मत में, वतन की याद क्या करना
जहाँ बेदर्द हाकिम हों, वहां फ़रियादक्या करना!!"

"पानी गिरता है पहाड़ से, दीवार से नहीं
दोस्ती है हमसे, हमारे रोज़गार से नही!!"

"बुरी नज़र वालों की तीन दवाई,
जूता, चप्पल और पिटाई!!"

57 के फूल 74 की माला,
बुरी नज़र वाले तेरा मूंह काला।